आज के समय में एलपीजी गैस सिलेंडर हर घर की सबसे जरूरी जरूरत बन चुका है। सुबह की चाय से लेकर रात के खाने तक रसोई गैस के बिना जीवन की कल्पना अधूरी लगती है। ऐसे में जब गैस सिलेंडर के दाम घटते हैं तो इसका सीधा असर आम परिवार की जेब पर पड़ता है। दिसंबर 2025 में एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमतों में जो नरमी देखने को मिली है उसने करोड़ों उपभोक्ताओं को सुकून दिया है। यह गिरावट खासतौर पर उन लोगों के लिए राहत लेकर आई है जो बढ़ती महंगाई से पहले ही परेशान चल रहे थे।
दिसंबर 2025 में क्यों गिरे दाम
दिसंबर 2025 की शुरुआत में तेल कंपनियों ने एलपीजी सिलेंडर के नए रेट जारी किए। इस बार घरेलू और कमर्शियल दोनों सिलेंडरों की कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी नहीं की गई बल्कि कई शहरों में दाम स्थिर या हल्के कम रहे। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई स्थिरता इसका सबसे बड़ा कारण मानी जा रही है। जब वैश्विक स्तर पर तेल महंगा नहीं होता तो उसका फायदा सीधे घरेलू गैस की कीमतों पर दिखता है। इसी वजह से इस महीने उपभोक्ताओं को गैस सिलेंडर के दामों में राहत महसूस हो रही है।
प्रमुख शहरों में नए रेट
देश के बड़े शहरों में एलपीजी सिलेंडर के दाम लगभग एक जैसे रुझान दिखा रहे हैं। दिल्ली में घरेलू 14.2 किलो का सिलेंडर करीब 884 रुपये के आसपास मिल रहा है। मुंबई में यही सिलेंडर लगभग 852 रुपये में उपलब्ध है। कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों में भी दाम ज्यादा ऊपर नीचे नहीं हुए हैं। हालांकि कुछ शहरों जैसे पटना और लखनऊ में कीमतें थोड़ी अधिक हैं लेकिन वहां भी पिछले महीने की तुलना में बड़ी बढ़ोतरी नहीं हुई है।
गिरावट से आम परिवार को क्या फायदा
गैस सिलेंडर के दामों में आई गिरावट या स्थिरता का सबसे बड़ा फायदा आम परिवार को होता है। हर महीने का रसोई बजट काफी हद तक गैस की कीमत पर निर्भर करता है। जब सिलेंडर सस्ता होता है तो घर का खर्च संतुलित रहता है। खासतौर पर मध्यम और निम्न आय वर्ग के लिए यह राहत बहुत मायने रखती है। महंगाई के दौर में गैस के दाम काबू में रहना परिवारों को मानसिक और आर्थिक दोनों तरह से सुकून देता है।
हर महीने क्यों बदलते हैं रेट
अक्सर लोगों के मन में सवाल उठता है कि गैस सिलेंडर के दाम हर महीने क्यों बदलते हैं। असल में एलपीजी की कीमत कई कारकों पर निर्भर करती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और गैस की कीमतें सबसे अहम भूमिका निभाती हैं। इसके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति टैक्स परिवहन खर्च और सब्सिडी नीति भी रेट तय करने में असर डालती है। तेल कंपनियां इन सभी बातों को ध्यान में रखकर हर महीने नए दाम तय करती हैं।